अपने पर ही यूं हंस लेता हूं।
कोई मेरी इस हंसी से
अपना दर्द मिटा ले
कुछ लम्हें इसलिये उधार देता हूं।
मसखरा समझ ले जमाना तो क्या
अपनी ही मसखरी में
अपनी जिंदगी जी लेता हूं।
रोती सूरतें लिये लोग
खुश दिखने की कोशिश में
जिंदगी गुजार देते हैं
फिर भी किसी से हंसी
उधार नहीं लेते हैं
अपने घमंड में जी रहे लोग
दूसरे के दर्द पर सभी को हंसना आता है
उनकी हालतों पर रोने के लिये
मेरे पास भी दर्द कहां रह जाता है
जमाने के पास कहां है हंसी का खजाना
इसलिये अपनी अंदर ही
उसकी तलाश कर लेता हूं।
o so good
जवाब देंहटाएंoh ky bat hi
जवाब देंहटाएंdil ko laga
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